Poultry Farming का बिजनेस चलाना वर्तमान समय में एक लाभकारी बिजनेस है इस बिजनेस में मुनाफा बेहिसाब होता है हालांकि, इस बिजनेस को चलाने के लिए थोड़ा धैर्य और अधिक मेहनत करने की जरूरत होती है इसे हम इस तरह भी कह सकते हैं कि पोल्ट्री फार्म का बिजनेस को सही तरीके से किया जाये तो इसमें बेहतर मुनाफा संभव है। जहां तक पोल्ट्री फार्म बिजनेस में धन के इन्वेस्टमेंट की बात है तो पोल्ट्री फार्म का बिजनेस करने के लिए धन की आवश्यकता फार्म की प्रकृति और आकार पर निर्भर करता है पोल्ट्री फार्म का बिजनेस छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर तक किया जाता है सबसे खास बात यह है कि पोल्ट्री फार्म का बिजनेस करने के लिए सरकार की तरफ से आर्थिक मदद बिजनेस लोन के रुप में होती है
Poultry Farming का बिजनेस 2 तरह का होता है
भारत सहित पूरी दुनिया में मुर्गे का मांस और मुर्गी का अंडा बहुत अधिक मात्रा में भोजन के तौर पर खाया जाता है इसी के साथ यहां यह स्पष्ट हो जाता है कि पोल्ट्री का बिजनेस मुख्य रुप से दो तरह का होता है
1. मांस का बिजनेस 2. अंडे का बिजनेस
जब कोई व्यक्ति पोल्ट्री का बिजनेस शुरु करता है तो उसके सामने यह दोनों विकल्प होता है कि वह चाहे तो मुर्गे की मांस और मुर्गी के अंडा का कारोबार कर सकता है लेकिन, बहुत मामलों में यह देखने को मिलता है कि लोग एक समय में एक ही पोल्ट्री का बिजनेस करते हैं। एक विकल्प चुनने के पीछे कई कारण होते हैं इन कारणों को में लागत और रख – रखाव के लिए अलग से लागत लगना शामिल है जब कोई व्यक्ति मुर्गे की मांस बेचने के लिए पोल्ट्री फार्म लगाता है तो उनकी सबसे बड़ी चुनौती होती है- चूजों को किसी तरह के संक्रमण से बचाते हुए मांस के लिए तैयार करना
उचित स्थान (व्यापारिक भूमि या स्थान) का चयन करना
पोल्ट्री फार्म के लिए हवादार छपरी बनाना
मुर्गी/मुर्गी के चूजों को खरीदकर अपने पोल्ट्री फार्म पर लाना
मुर्गियों/मुर्गों के लिए उचित पोषणयुक्त भोजन की व्यवस्था करना
बिजली और पानी की व्यवस्था करना
पैकेजिंग की व्यवस्था करना
अंडे के उत्पादन के बाद अंडों को बेचने के लिए ग्राहक की खोज करना
अगर पोल्ट्री फार्म मांस के लिए है तो मुर्गो की मांस बिकने के लिए मार्केट प्लेस में भेजना
वाहन की व्यवस्था करना
मार्केटिंग की नीति बनाना
विज्ञापन करना
पोल्ट्री फार्म का बिजनेस करने से क्या हासिल होगा?
पोल्ट्री फार्म का बिजनेस करने से बेहतर मुनाफा प्राप्त होने की पूरी संभवना होती है
इस बिजनेस में 40% तक मार्जिन बचत के तौर पर मिलता है
रोजगार के अवसरों का सृजन होता है
सीमित संसाधन और कम लागत में भी कारोबार शुरु किया जा सकता है
Poultry Farming का जमीन चुनाव करना
तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कदम इस बिजनेस के लिए जमीन का चुनाव करना है । जमीन का चुनाव करते समय आपको Local Market में उपलब्ध पोल्ट्री फार्म और ग्राहक दोनों का विश्लेषण करना होगा।यदि आप अपने शहर से दूर कही और मुर्गियां बेचना चाहते हैं तो परिवहन व्यवस्था को भी आपको ध्यान में रखना होगा। मुर्गी फार्म व्यापार के लिए उचित मात्रा में पीने के पानी का होना अति आवश्यक है। इसलिए आपको अपने पोल्ट्री फार्म Business के लिए जमीन चयन करते समय इन सब बातों का ध्यान रखना होगा।
Poultry Farming छप्पर एवं उपकरणों का प्रबंध करना
यदि आपके पास Bank Loan या आपके स्वयं के द्वारा वित्त की व्यवस्था हो गई हो । तो अब आपका कदम अपने पोल्ट्री फार्मिंग बिजनेस के लिए, Shedding और equipment खरीदकर पोल्ट्री फार्म स्थापित करने का होना चाहिए।
मे किस प्रकार का मुर्गी पालन करे
ब्रायलर पोल्ट्री फार्म
ब्रायलर पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों की काफी साफ-सफाई और संवेदनशीलता से देखभाल की जाती है. मुर्गियों का खाने के लिए खास तरीके का फीड और आसपास काफी साफ-सफाई रखी जाती है, जिससे मांस का और मुर्गी के अंडों से अच्छे चूजे मिल सकें, हालांकि कम समय में ही अंडे और मांस का प्रोडक्शन लेना होता है, इसलिए मुर्गियों के रहने की जगह का तापमान भी नियंत्रित किया जाता है.एक चूजा करीब 120 दिन में तंदुरुस्त मुर्गी के रूप में तैयार हो जाता है, जबकि अंड़ों से ब्रायलर चूजे निकलने में करीब 30 दिन लग जाते हैं. पोल्ट्री फार्म की इस तकनीक से कारोबार करने पर मुर्गी की देखभाल आदि में थोड़ा खर्चा जरूर होता है, लेकिन इस बिजनेस में नुकसान की संभावना ना के बराबर रहती है.
लेयर पोल्ट्री फार्म
अगर बड़े पैमाने पर अंडों का उत्पादन लेना है तो लेयर पोल्ट्री फार्म करने की हिदायत दी जाती है. ये पोल्ट्री फार्म का व्यावसायिक रूप है, जिसमें पिंजरे बनाकर लाइन में मुर्गियां पाली जाती है. पिंजरे के अंदर ही मुर्गियों को दाना-पानी मिल जाता है. इन मुर्गियों की देखभाल की जाती है, जिससे ज्यादा चिकन का प्रोडक्शन मिले. 17 सप्ताह तक मुर्गी का वजन 1.2 किलोग्राम होता है, लेकिन 76 सप्ताह में मुर्गी का वजन बढ़कर 1.7 किलोग्राम हो जाता है. ये मुर्गियां करीब 19वें सप्ताह से लेकर 72 वें सप्ताह तक 330 अंडे दे देती हैं, जिनका वजन 60 ग्राम तक होता है. इसके बाद इन्हें बूचड़खानों में बेच दिया जाता है.
देसी मुर्गियों का फार्म
बाजार में देसी मुर्गियां और इनके अंडों की खूब डिमांड रहती है. ये मुर्गियां खेती के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ने में मददगार होती हैं. गांव में ज्यादातर देसी मुर्गियों को छोटे पैमाने पर ही रखा जाता है. बैकयार्ड में ये मुर्गियां पाली जाती है. इनके अंडे किसानों की आय बढ़ाते हैं. देसी मुर्गियों का ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती.
इन मुर्गियों को कोई खास आहार नहीं देना पड़ता, बल्कि किचन वेस्ट, दाने, फल-सब्जियां और जमीन पर रेंगने वाले कीड़े-मकौडों से ही पेट भर लेती है. छोटे पैमाने पर खेती करने वाले किसान ज्यादातर देसी मुर्गियां पालते हैं. बता दें कि इन मुर्गियों के चारों तरह घूमना बहुत पसंद होता है.
कैसे प्राप्त करें लाइसेंस ?
मुर्गी पालन के लिए अलग-अलग राज्यों में कई प्रकार के लाइसेंस की आवश्यकता होती है, हालांकि पिछले कुछ समय से मुर्गी पालन की बढ़ती मांग के मद्देनजर भारतीय सरकार मुर्गी पालन के लिए आवश्यक लाइसेंस की संख्या को धीरे धीरे कम कर रही है।
फायदा
यह मुर्गियां लागत से ज्यादा एवं दुगना तक मुनाफा प्रदान करती है। सभी विशेषज्ञ का यह कहना है कि जब यह मुर्गी आप पूरी तरह से विकास कर जाती है तो उन्हें बाजार में बेचकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है यदि आप लोग इस नस्ल की मुर्गियों को बेचेंगे तो आपको लागत से दुगना अर्थात अधिक मुनाफा मिलेगी आप जितने बड़े स्तर पर देसी मुर्गी पालन करके बिजनेस शुरू करेंगे कमाई उतना ही अधिक होगा और आपको लाभ ज्यादा होगा।
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