TodaysNews11; मेडिकल में दाखिला आसान नहीं होता और इसे आसान बनाने के लिए कुछ लोग गलत तरीका भी निकालते हैं। बिहार के दरभंगा स्थित डीएमसीएच में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक छात्र पर इसी तरह के घालमेल का आरोप लगा है।
उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच (दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल) में फर्जी तरीके से नामांकन करवाकर पढ़ने का मामला सामने आया है। बताया जाता है 2021-22 बैच में एक छात्र ने फर्जी तरीके से काउंसिलिंग करवाकर नामांकन करवा लिया। द्वितीय वर्ष में पढ़ने के दौरान किसी ने इसकी शिकायत नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) से की, तब जाकर एनएमसी ने डीएमसीएच के प्रिंसिपल और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय से इस मामले की जांच के लिए पत्र लिखा। इस बात की पुष्टि करते हुए डीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ. केएन मिश्रा ने कहा है कि जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया गया है
एक साल की पढ़ाई पूरी कर ली, अब लटकी तलवार
इस खबर के बाद पूरे डीएमसीएच में हड़कंप मच गया है। इस मामले को लेकर डीएमसीएच फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहा है। बताया जाता है कि पहले साल की पढ़ाई पूरी कर द्वितीय वर्ष में पढ़ रहे छात्र को चिह्नित करने के बाद से मेडिकल छात्रों में कई तरह की बातें चल रही हैं। जांच कमिटी उन सभी बातों की जानकारी जुटा रही है। मेडिकल पढ़ रहे उक्त छात्र की हैंडराइटिंग से लेकर विषय ज्ञान तक की जांच के बाद देखना होगा कि डीएमसीएच प्रशासन इस दिशा में क्या कार्रवाई करता है और एनएमसीएच को क्या रिपोर्ट भेजी जाती है।
कौन हैं जांच कमिटी में, किसे देंगे रिपोर्ट- जानें यहां
प्रिंसिपल की ओर से बनाई गई जांच कमेटी में पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी विभाग के डॉक्टरों को शामिल किया गया है। नेशनल मेडिकल कमीशन को गुप्त शिकायत मिली थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सेकंड प्रोफेशनल सप्लीमेंट्री परीक्षा में उक्त छात्र के बदले कोई स्कॉलर परीक्षा में शामिल हुआ था। शिकायत मिलने पर नेशनल मेडिकल कमीशन ने आर्यभट्ट ज्ञान विश्विद्यालय को पत्र लिखकर मामले की जांच कराने का निर्देश दिया। नेशनल मेडिकल कमीशन से पत्र प्राप्त होने के बाद विश्वविद्यालय ने प्राचार्य को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए मामले की जांच कर रिपोर्ट सुपुर्द करने को कहा गया। दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. केएन मिश्रा ने बताया कि इस सिलसिले में विश्वविद्यालय से पत्र प्राप्त हुआ है। जांच कमेटी की रिपोर्ट आने पर उसे विश्वविद्यालय को भेज दिया जाएगा और प्रति एनएमसी को भी दे दी जाएगी। कार्रवाई का फैसला वहीं से होगा।