Goat Business: बकरी पालन बिज़नेस कैसे करे ? और किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए।

Goat Business IntroDuction : Bakri Palan इस बिजनेस को शुरू करने के लिए छोटी पूंजी और कुछ ज्ञान की आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें जोखिम न्यूनतम होता है। साथ ही यह बिजनेस आय का भी अच्छा स्रोत साबित हो सकता है। बकरी का मांस, दूध, गोबर और त्वचा सभी का उपयोग किया जाता है, जिससे यह कमाई का एक बहुमुखी स्रोत बन जाता है।

बकरी के मांस की मांग पूरे भारत में है, जो इस बिज़नेस में महत्वपूर्ण संभावना है। अगर इस बिज़नेस को आधुनिक तरीकों से किया जाए तो यह अत्यधिक लाभदायक बिज़नेस हो सकता है। तो आइए चर्चा करते हैं कि बकरी पालन के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

Goat Business Kaise Kare
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Goat Business: बकरी पालन बिज़नेस कैसे शुरू करे।

बकरी पालन बिज़नेस शुरू करने के लिए आपको बकरी फार्म बनाने की आवशयकता होंगी लेकिन ,लागत की इस बात पर निर्भर करती है कि आप इसे कितने बकरियों के साथ शुरू करना चाहते हैं। एक बकरी का औसत वजन 25 किलोग्राम होता है, इसलिए 300 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से एक बकरी की कीमत 7,500 रुपये होगी । लेकिन आपको ये भी पता होना चाहिए की बकरी की कीमत उसकी वेरायटी निर्भर करती है हर वेरायटी/नस्ल बकरी कीमत अलग – अलग होती है ।

इसी तरह 30 किलोग्राम के बकरे की कीमत 250 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 7,500 रुपये होगी। एक यूनिट में कुल 50 बकरियां और 2 बकरियां हैं, तो एक यूनिट बकरी खरीदने की कुल लागत कितनी होगी । इसी तरह आप मुर्गी पालन शुरू करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

आपको बता दे की बकरी पालन बिज़नेस के लिए केंद्र सरकार द्वारा 35 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाती है। साथ ही, कई राज्य सरकारें इस व्यवसाय के लिए सब्सिडी भी प्रदान करती हैं। हरियाणा सरकार बकरी पालन के लिए 90 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है. अगर आपके पास इस बिजनेस को शुरू करने के लिए पूंजी नहीं है तो आप बैंक से लोन ले सकते हैं।

आप 25 से 50 बकरियों के साथ बकरी पालन शुरू कर सकते हैं। इस व्यवसाय की शुरुआत में आपको बकरियों को रखने के लिए एक शेड, बकरियां खरीदने और उन्हें खिलाने के लिए पैसे की आवश्यकता होती है।

पहाड़ से लेकर मैदान तक सरकार बकरी पालन को बढ़ावा दे रही है, इसके साथ ही वित्तीय सहायता के साथ – साथ बकरी अनुसन्धान संस्थानों से तकनीकी जानकारी प्राप्त करने का भी अवसर मिलता है । देशभर में केंद्र सरकार के सहयोग से संचालित संस्थान केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में वैज्ञानिक बकरी पालन पर जोर दिया जा रहा है।

इन संस्थानों के बकरी वैज्ञानिक पशुपालकों को बकरी के चारे और उसके रख-रखाव के बारे में जानकारी दे रहे हैं. अगर आप भी बकरी पालन के बारे में योजना बना रहे हैं तो इसमें कम से कम तीन से चार लाख रुपये का खर्च आएगा ।

Goats: बकरियों की नस्लें

अच्छी नस्ल का चयन
इसमें जलवायु तथा आकार के अनुरूप बकरा/बकरियों का चयन आवश्यक है।

बड़े आकार की नस्लें :- जमुनापारी, बील, झकराना

जमुनापारी- उत्तर प्रदेश के आगरा और इटावा इलाके में मिलने वाली इस बकरी की नस्ल को दूध और मांस दोनों के लिए पाला जाता है। नर का वज़न 50-60 किलोग्राम और मादा का वज़न 40-50 किलोग्राम तक होता है। ये आमतौर पर सफ़ेद रंग की होती है और शरीर पर काले भूरे रंग के धब्बे होते हैं।

मध्यम आकार की नस्लें :- सिरोही, मारवाडी, मैहसाना

सिरोही- राजस्थान का सिरोही और अजमेर ज़िला इसका उत्पत्ति स्थान है। नर का वज़न 40-50 किलोग्राम और मादा का वज़न 30-40 किलोग्राम तक होता है।

छोटे आकार की नस्लें :- बरबरी, ब्लैक बंगाल

ब्लैक बंगाल- पश्चिम बंगाल और असम में मिलने वाली ब्लैक बंगाल का साइज़ छोटा होता है। रंग काला/भूरा, सींग ऊपर की ओर उठे हुए औ छाती चौड़ी होती है। नर का वज़न 30 किलोग्राम तक और मादा का वज़न 20 किलोग्राम तक होता है।

जमुनापारी, सिरोही तथा बरबरी नस्ल की बकरियॉ मैदानी क्षेत्रों के लिए अधिक उपयुक्त हैं। अतः पशुपालकों द्वारा इन नस्लों का संवर्धन, वृद्धि एवं व्यवसाय हेतु अधिकाधिक उपयोग किया जा सकता है। व्यवसाय को प्रारम्भ करते समय उच्च प्रजनन क्षमता युक्त वयस्क स्वस्थ्य बकरियों को ही कृय करना चाहिए।

Goat Business: बकरी पालन बिज़नेस कैसे करे
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आहार प्रबंधन

बकरी चरने वाला पशु है। स्थानीय स्तर पर विकसित चारागाह/पेड पौधा/ कृषि फसलों की उपलब्धता अच्छे हरे चारे के रूप में आवश्यक हैं। बकरी को यदि 8 घण्टे चराने पर पाला जाता है तो उसके शारीरिक भार का 1 प्रतिशत पौष्टिक आहार के रूप में खाने हेतु दिया जाये। बकरी पालते समय यह ध्यान रखना चाहिए की बकरी का खान पान अच्छे से हो रहा है। उदाहरणार्थ 25 किग्रा. शारीरिक भार पर 250 ग्राम पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है।

बकरियों के आहार के मुख्य स्रोत निम्न हैं –

अनाज वाली फसलों से प्राप्त चारे।

दलहनी फसलों से प्राप्त चारे।

पेड पौधों की फलियॉ व पत्तियाँ।

विभिन्न प्रकार की घास व झाडियाँ।

दाने व पशु आहार।

संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार आहार व चुगान बकरियों को बांध कर भी उपलब्ध कराया जा सकता है। चारागाह की कमी हो जाने की वजह से आवास में रखकर पालने वाली पद्धति अधिक लाभप्रद होती जा रही है। अच्छे आवास हेतु 12 से 15 वर्ग फीट स्थान प्रति पशु आवश्यक है।

आवास में हवा व प्रकाश की व्यवस्था होनी चाहिए। आवास स्थानीय उपलब्ध संसाधनों में सस्ता निर्मित होना चाहिए।

बांध कर पालने वाली पद्धति में प्रति पशु 1 – 2 किग्रा. भूसा या 2.5 किग्रा. हरा चारा/पत्तियाँ/हे/ साईलेज तथा 500 ग्राम से 1 किग्रा. संकेन्द्रित आहार शारीरिक आकार के अनुसार दिया जाना चाहिए।

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बकरी पालन में कितना खर्च आता है?

यदि आप ग्रामीण क्षेत्र के निवासी हैं और आप बकरी पालन व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो पहले आपके लिए बकरी पालन व्यवसाय में लगने वाली लागत के बारे में सोचना होगा हालांकि इस बिजनेस को आप छोटे स्तर पर भी शुरू कर सकते हैं लेकिन बकरी पालन शुरू करने के लिए आपके पास कम से कम 2 से चार बकरी होनी चाहिए

और फिर आप धीरे-धीरे अपने बजट के अनुसार बकरियों की संख्या में वृद्धि कर सकते है। मान लीजिए अगर आप पांच बकरी के साथ बकरी पालन बिजनेस शुरू करते हैं तो प्रत्येक बकरी की कीमत ₹5000 तक होती है इस प्रकार आपको बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए ₹25000 तक खर्च करने होंगे।
और अगर आप बड़े स्तर पर बकरी पालन व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो आपको तकरीबन 2500000 रुपए तक का निवेश करना होगा हालांकि केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा कई प्रकार की बकरी पालन योजनाएं चलाई जा रही हैं जिनके माध्यम से बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने वाले लोगों को 50% से लेकर 70% तक की सबसे भी पर लोन प्रदान किया जाता है।

प्रजनन

मादा 10 – 15 माह की आयु में प्रजनन योग्य हो जाती है। गर्मी के लक्षण में बकरी पूँछ को बार – बार हिलाती है तथा योनि से सफेद स्राव आता है। उस समय इसे नर बकरा के सम्पर्क में लाकर संसर्ग कराना चाहिए। बकरी 150 – 155 दिन में बच्चा देती है तथा 60 – 90 दिन में गर्मी में आने पर पुनः गर्भित कराना उचित होता है। नव उत्पन्न शिशु की उचित देखभाल करनी चाहिए, जिससे कि वह स्वस्थ्य रहे। बच्चों को खीस (चीका) व दुग्ध पान दिन में चार बार कराना उचित होता है। दुग्ध का सेवन 6 – 8 सप्ताह तक कराना चाहिए। 3 – 9 माह की आयु तक वयस्कता प्राप्त करने हेतु अच्छी आहार व्यवस्था तथा रोग प्रबन्धन करना चाहिए।

 

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