TodaysNews11; प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड में चुनावी बिगुल बजा चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज (गुरुवार) रांची पहुंच रहे हैं। कल वे साहिबगंज जाएंगे। वहां से वे भाजपा की परिवर्तन यात्रा का आगाज करेंगे। भाजपा के चुनाव प्रभारी केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और सह प्रभारी असम के सए हिमंता विश्व सरमा लगातार झारखंड आ रहे हैं। उनके लगातार आने और नई चुनावी रणनीति ने झारखंड भाजपा में नई जान फूंकी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकलुभावन घोषणाओं और कार्यक्रमों से एक बार ऐसा लगने लगा था कि भाजपा को वे अकेले क्लीन बोल्ड कर देंगे। पर, भाजपा के बड़े नेताओं द्वारा झारखंड की चुनावी कमान संभालने के बाद स्थितियां पहले से सुधरी हैं। अब तो लोग यह भी कहने लगे हैं कि मुकाबला एकतरफा नहीं, बल्कि दोनों ओर से इस पर कड़ा होने वाला है। ऐसा कड़ा कि कौन बाजी मार ले जाए कहना मुश्किल है।
भाजपा इस बार सत्ता में नहीं है, इसलिए उसे अपने कामकाज के भरोसे सत्ता का सपना देखना संभव नहीं है। हां, केंद्रीय योजनाओं का उल्लेख कर भाजपा थोड़ा राहत महसूस कर सकती है। वैसे भाजपा ने अपने मुद्दे लोकसभा चुनाव के दौरान ही तय कर लिए थे। उन्हीं मुद्दों को लेकर वह लोगों के बीच जा रही है। लोगों को जागरूक कर रही है। खतरे की ओर इशारा कर रही है कि अगर इंडिया ब्लॉक की सरकार झारखंड में बरकरार रही तो झारखंड के लोगों को क्या नुकसान होने वाला है। इस क्रम में सबसे बड़ा मुद्दा बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ का है। मुस्लिम तुष्टिकरण का है। झारखंड की बदलती डेमोग्राफी का है। आदिवासियों की घटती आबादी का है। भाजपा ने यह मुद्दा शिद्दत से उठाया है। हिमंता विश्व सरमा ने तो इसे अपना तकियाकलाम ही बना लिया है। उनका कोई भी बयान या भाषण इसके बिना पूरा नहीं होता।
घुसपैठ पर हाईकोर्ट का मिल रहा साथ
घुसपैठ के मुद्दे पर झारखंड हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाया है। राज्य सरकार इनकार करती है कि कोई घुसपैठ हुई है। केंद्र सरकार से भी बार-बार समय लिया जा रहा है। समस्या स्वीकारने को कोई तैयार नहीं है। हालांकि हाईकोर्ट के पास जो दस्तावेज हैं, उससे कोर्ट संतुष्ट है कि घुसपैठ की समस्या झारखंड में है। अदालत ने झारखंड पुलिस और प्रशासन के आला अफसरों से रिपोर्ट मांगी थी। निचले स्तर के आरोपियों से रिपोर्ट मंगा कर राज्य सरकार ने खानापूर्ति की। इससे भी हाईकोर्ट खफा है। भाजपा को इससे अपने आरोपों को बल मिल रहा है। सवाल है कि अगर समस्या गंभीर है और इसका संथाल परगना की डेमोग्राफी पर असर पड़ रहा है तो कोई इसे स्वीकार क्यों नहीं करता? जब स्वीकारोक्ति नहीं होगी, समस्या का निदान ही संभव नहीं है। जो भी हो, भाजपा के हाथ यह बड़ा मुद्दा है।
हेमंत की वादाखिलाफी भी बन रहा मुद्दा
हेमंत सोरेन ने 2019 के विधानसभा चुनाव के वक्त युवाओं को रोजगार का वादा किया था। बेरोजगारों को भत्ता देने की बात कही थी। 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाने की बात कही थी। नियोजन नीति का वादा किया था। इन सभी वादों को हेमंत सोरेन पूरा नहीं कर पाए। कुछ हुए भी तो विवादों में फंसते रहे। नेट रिजल्ट शून्य रहा है। भाजपा इसे भुनाने का अवसर कैसे छोड़ सकती है। अगस्त में इसे लेकर भाजपा ने आक्रोश रैली भी रांची में की थी। बूथ स्तर तक पहुंचने के लिए भाजपा अब परिवर्तन रैली निकाल रही है। परिवर्तन यात्रा में तीन हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने का लक्ष्य है। छोटे-छेटे विरोध प्रदर्शन भी भाजपा कर रही है। तात्कालिक मुद्दों पर भी पार्टी मुखर है। उत्पाद सिपाही की दौड़ में दर्जन से ज्यादा युवाओं की मौत को भाजपा ने मुद्दा बनाया। भाजपा का आरोप था कि नौकरी का झांसा देने के लिए राज्य सरकार गर्मी-उमस के मौसम में युवाओं को दौड़ा रही है। इससे युवा दम तोड़ रहे हैं।
स्थितियां फिलहाल एनडीए के पक्ष में
भाजपा ने इन मुद्दों को उठा कर स्थिति अपने अनुकूल बना ली है। पर, जनमानस कितना सजग होता है, सफलता इसी पर निर्भर है। भाजपा की मूल चिंता आदिवासी सीटों की है। झारखंड की कुल 28 आदिवासी सीटों में सिर्फ दो पर पिछले चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार जीत पाए थे। इस बार लोकसभा चुनाव में भी आदिवासियों के लिए रिजर्व सीटों पर भाजपा की हार हुई है। इसलिए भाजपा की पूरा कोशिश है कि आदिवासी वोट उसके पाले में आ जाएं। भाजपा के पास अब आदिवासी नेताओं की कमी भी नहीं है। बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा और चंपई सोरेन जैसे पूर्व सीएम भाजपा के साथ हैं। सीता सोरेन, गीता कोड़ा और लोबिन हेम्बरम जैसे नेता भी संथाल से लेकर कोल्हान तक हैं। भाजपा की मूल चिंता संथाल और कोल्हान क्षेत्र को लेकर है, जहां दो दर्जन से अधिक सीटें हैं। इनमें गिनती के कुछ सीटों के अलावा पिछली बार भाजपा के हाथ खाली रह गए थे। यही वजह है कि भाजपा का फोकस कोल्हान और संथाल पर ज्यादा दिखता है। पीएम ने कोल्हान में पहली चुनावी सभा की तो परिवर्तन यात्रा की शुरुआत अमित शाह संथाल से करेंगे।